पंचकूला में नए क्रिमिनल लॉज के तहत ई-साक्ष्य एप लॉन्च, नहीं हो पाएंगे डिजिटल साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़
E-evidence App Launched
पंचकूला। E-evidence App Launched: पुलिस कमिश्नर शिबास कविराज के मार्गदर्शन में पुलिस उपायुक्त हिमाद्रि कौशिक के नेतृत्व में लघु सचिवालय सेक्टर 1 पंचकूला में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, या 'ई-साक्ष्य एप पर विशेषज्ञ के द्वारा सभी अधिकारियो के साथ वर्कशाप का आयोजन किया गया । इस मीटिंग में पुलिस उपायुक्त अपराध एंव यातायात विरेन्द्र सांगवान, सभी प्रबंधक थाना, पुलिस चौकी इन्चार्ज व सभी थानों मे तैनात अनुसंधान अधिकारी (आईओ) मौजूद रहे ।
पुलिस उपायुक्त पंचकूला हिमाद्रि कौशिक ने बताया कि देशभर में 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू किए गए है। इन्हीं कानूनों के तहत डिजिटल साक्ष्यों को एप के माध्यम से संकलित कर उन्हें क्लाउड पर स्टोरेज करने के लिए पंचकूला पुलिस द्वारा नई शुरुआत की गई है। कानूनों में पुलिस जांच का अधिकांश हिस्सा डिजिटल किया गया है। जिससे दबिश, जब्ती व घटना स्थल की विडियो ई-साक्ष्य एप पर अपलोड करना है इस डिजिटल एप को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के द्वारा तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि एप को सभी पुलिस अधिकारियो के मोबाइल में इंस्टॉल और उसकी कार्य प्रक्रिया के बारे अवगत करवाया गया जिस एप के माध्यम से डिजिटल साक्ष्य सुरक्षित तरीके से अदालत में पहुंचेगें । नए क्रिमिनल लॉ के तहत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किसी भी अपराध से संबंधित एविडेंस को डिजिटल रूप में संकलित सुरक्षित करने का प्रावधान किया गया है ताकि इस एप में अनुसंधान अधिकारी अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करके घटना से संबंधित साक्ष्यों को डिजिटल फॉर्म में रिकॉर्ड कर सकेंगे। सभी प्रकार की सर्च (तलाशी) और मामले हर प्रकार की रिकवरी की वीडियोग्राफी भी इसी एप से की जाएगी। इस संबंध में फोटो या विडियो की तुरन्त "हेस वैल्यू" तैयार होकर पुलिस अधिकारी की तरफ से सर्टिफिकेट किया जायेगा और इन संकलन साक्ष्यों को सीधे क्लाउड पर डाल दिया जाएगा। ऐसे में क्लाउड पर डिजिटल साक्ष्यों से किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की जा सकेगी और पारदर्शी तरीके से अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त होगा ।
आईओ अपने मोबाइल पर कर सकता है इंस्टॉल
पुलिस उपायुक्त हिमाद्रि कौशिक ने बताया कि नए क्रिमिनल लॉज के तहत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किसी भी अपराध से संबंधित एवीडेंस को डिजिटल रूप में संकलित एवं सुरक्षित करने का प्रावधान किया गया है । इस एप को अनुसंधान अधिकारी (आईओ) अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करके घटना से संबंधित साक्ष्यों को डिजिटल फॉर्म में रिकॉर्ड कर सकेंगे ।
किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं हो पाएगी
एप विशेषज्ञ मृंतयज ने बताया कि सभी प्रकार के सर्च एवं सीजर की वीडियोग्राफी भी इस एप से की जाएगी । वीडियो की ‘हैस वेल्यू’ उसी समय ही निकाली जाएगी एवं न्यायालय में पहुंचने तक इसे सुरक्षित रखा जाएगा। वहीं इस एप पर संकलित साक्ष्यों को सीधे ‘क्लाऊड’ पर डाल दिया जाएगा। ऐसे में क्लाउड पर सुरक्षित डिजिटल साक्ष्यों से किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की जा सकेगी और पारदर्शी तरीके से अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त होगा ।